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1.
संसद
की कहानी हमारे
देश की
राजनीतिक व्यस्था
को, या सरकार
जिस प्रकार
बनती और चलती
है, उसे
संसदीय
लोकतंत्र
कहा जाता है।
भारत के लिए लोकतंत्र
कोई नयी बात
नहीं है। संसार
के सबसे
पुराने
गणतंत्र
भारत में ही
जन्मे-पनपे।
संसद पुराने
संस्कृत
साहित्य का
शब्द है।
पुराने समय
में राजा को
सलाह देने
वाली सभा ‘संसद’ कहलाती
थी। राजा ‘संसद’ की सलाह
को ठुकरा
नहीं सकता
था। बौद्ध
सभाओं में
संसदीय
प्रक्रिया
संबंधी नियम
आजकल की संसदों
के नियमों से
बहुत
मिलते-जुलते
थे। खुली
बातचीत,
बहुमत का
फैसला, ऊंचे
पदों के लिए
चुनाव, वोट
डालना,
समितियों
द्वारा
विचार आदि से
हमारी लोकतांत्रिक
संस्थाएं
हजारों साल
पहले परिचित
थीं। संसार
के सबसे
पुराने
ग्रंथ ऋग्वेद
में ‘सभा’ और ‘समिति’ के बारे
में लिखा हुआ
है। ‘समिति’ एक आम सभा
या लोक सभा की
तरह हुआ करती
थी। ‘सभा’ कुछ छोटी
और चुने हुए
बड़े लोगों
की संस्था
होती थी।
उसकी तुलना
आज की राज्य
सभा या विधान
परिषदों से
की जा सकती
है। ग्राम-पंचायतें
हमारे
जन-जीवन का
अभिन्न अंग
रही है।
पुराने समय
में गांवो की
पंचायत
चुनाव से
गठित की जाती
थी। उसे न्याय
और व्यवस्था,
दोनों ही
क्षेत्रों
में खूब
अधिकार मिले
हुए थे।
पंचायतों के
सदस्यों का
राजदरबार
में बड़ा आदर
होता था। यही
पंचायतें
भूमि का
बंटवारा
करती थीं। कर
वसूल करती
थीं। गांव की
ओर से सरकार |