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जाए।
मंत्रिपरिषद
सामूहिक रूप
से लोक सभा के प्रति
उत्तरदायी
है। अंत: उसके
लिए यह जरूरी
है कि लोक सभा
का विश्वास
खोते ही पद-त्याग
कर दें। संसदीय
शासन का अर्थ
होना चाहिए
संसद द्वारा शासन।
किंतु संसद
स्वयं शासन
नहीं करती और
न ही कर सकती
है। मंत्रिपरिषद
के बारे में
एक तरह से कहा
जा सकता है कि
यह संसद की महान
कार्यपालिका
समिति होती
है। जिसे मूल
निकाय की ओर
से शासन करने
का
उत्तरदायित्व
सौंपा जाता
है। संसद का
कार्य विधान
बनाना, मंत्रणा
देना, आलोचना
करना और
लोगों की
शिकायतों को
व्यक्त
करना है।
कार्यपालिका
का कार्य
शासन करना है,
यद्यपि वह
संसद की ओर से
ही शासन करती
है। 3. संसद
सदस्यों का
चुनाव भारत
जैसे बड़े और
भारी जनसंख्या
वाले देश में
चुनाव कराना
एक बहुत बड़ा
काम है। संसद
के दोनों
सदनो-लोकसभा
और राज्य
सभा- के लिए
चुनाव
बेरोकटोक और
निष्पक्ष
हों इसके लिए
एक स्वतंत्र
चुनाव (निर्वाचन) आयोग
बनाया गया
है। लोक
सभा के लिए
सामान्य
चुनाव जब
उसकी
कार्यवधि
समाप्त
होने वाली हो
या उसके भंग
किए जाने पर
कराए जाते
हैं। भारत का
प्रत्येक
नागरिक जो 18
वर्ष का या
उससे अधिक हो
मतदान का
अधिकारी है।
लोकसभा का
चुनाव लड़ने
के लिए कम से
कम आयु 25 वर्ष
है और राज्य
सभा के लिए 30
वर्ष। राज्य
सभा : राज्य
सभा के सदस्य
राज्यों के
लोगों का
प्रतिनिधित्व
करते हैं।
इनका चुनाव
राज्य की
विधान सभा के
चुने हुए
सदस्यों
द्वारा होता
है। राज्य
सभा में स्थान
भरने के लिए
राष्ट्रपति,
चुनाव आयोग
द्वारा |