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वाचन। विधेयक
‘पेश
करना,’
विधेयक का
पहला वाचन
है। प्रथा के
अनुसार इस अवस्था
में चर्चा
नहीं की जाती
है। विधेयक
का दूसरा
वाचन सबसे
अधिक विस्तृत
एवं महत्वपूर्ण
अवस्था है
क्योंकि
इसी अवस्था
में इसकी
विस्तृत
एवं बारीकी
से जांच की
जाती है। जब
विधेयक के
सभी खंडो पर
और
अनुसूचियों
पर, यदि कोई
हों, सदन विचार
कर उन्हें
स्वीकृत कर
लेता है। तब
मंत्री यह
प्रस्ताव
कर सकता है कि
विधेयक को
पास किया
जाए। यह तीसरा
वाचन कहलाता
है। जिस सदन
में विधेयक
पेश किया गया
हो उसमें पास
किए जाने के
बाद उसे
सहमति के लिए
दूसरे सदन
में भेजा
जाता है।
वहां विधेयक
फिर इन तीनों
अवस्थाओं
में से
गुजरता है। किसी
विधेयक पर
दोनों के बीच
असहमति के
कारण गतिरोध
होने पर एक
असाधारण स्थिति
उत्पन्न
हो जाती है।
जिसका
समाधान
दोनों सदनों
की संयुक्त
बैठक में
होता है। जब
दोनों सदनों
द्वारा कोई
विधेयक अलग
अलग या
संयुक्त
बैठक में पास
कर दिया जाता
है तो उसे
राष्ट्रपति
के पास भेजा
जाता है। यदि
राष्ट्रपति
अनुमति
प्रदान कर
देता है तो
अनुमति की
तिथि से
विधेयक
अधिनियम बन
जाता है। संशोधन
के द्वारा
संविधान के
किसी भी
अनुच्छेद
में बदलाव
लाया जा सकता
है। किंतु
उच्चतम न्यायालय
के निर्णय के
अनुसार
संविधान के
मूल ढांचे या
मूल तत्वों
को नष्ट या
न्यून करने
वाला कोई
परिवर्तन
नहीं किया जा
सकता। 9. संसद
में
सेवा-सुविधाएं संसद में
दोनों सदनों
से संबंधित
सारे काम के
समुचित
संचालन के
लिए, लोक सभा
सचिवालय और
राज्य सभा
सचिवालय
बनाए गए हैं।
दोनों |