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8. कानून
कैसे बनते
हैं? कानून
बनाना संसद
का प्रमुख
काम माना
जाता है।
इसके लिए पहल
अधिकांशतया
कार्यपालिका
द्वारा की जाती
है। सरकार
विधायी
प्रस्ताव
पेश करती है।
उस पर चर्चा
तथा वाद
विवाद के पश्चात
संसद उस पर
अनुमोदन की
अपनी मुहर
लगाती है। सभी
कानूनी
प्रस्ताव
विधेयक के
रूप में संसद
में पेश किए
जाते हैं।
विधेयक
विधायी
प्रस्ताव
का मसौदा
होता है।
विधेयक संसद
के किसी एक
सदन में
सरकार
द्वारा या
किसी
गैर-सरकारी
सदस्य
द्वारा पेश
किया जा सकता
है। इस
प्रकार मोटे
तौर पर,
विधेयक दो
प्रकार के
होते हैं : (1)
सरकारी विधेयक
और (ख)
गैर-सरकारी
सदस्यों के
विधेयक।
विधि का रूप
लेने वाले
अधिकांश
विधेयक
सरकारी
विधेयक होते
हैं। वैसे तो
गैर सरकारी
सदस्यों के
बहुत कम
विधेयक विधि
का रूप लेते
हैं। िफर
भी उनके
द्वारा यह
बात सरकार और
लोगों के ध्यान
में लाई जाती
है कि मौजूदा
कानून में
संशोधन करने
या कोई आवश्यक
विधान बनाने
की आवश्यकता
है। विधेयक
का मसौदा उस
विषय से
संबंधित
सरकार के मंत्रालय
में विधि
मंत्रालय की
सहायता से तैयार
किया जाता
है।
मंत्रिमंडल
के अनुमोदन
के बाद इसे
संसद के
सामने लाया
जाता है।
संबंधित मंत्री
द्वारा उसे संसद
के दोनों
सदनों में से
किसी भी सदन
में पेश किया
जा सकता है।
केवल धन
विधेयक के
मामले में यह
पाबंदी है कि
वह राज्य
सभा में पेश
नहीं किया जा
सकता। अधिनियम
का रूप लेने
से पूर्व
विधेयक को
संसद में
विभिन्न
अवस्थाओं
से गुजरना
पड़ता है।
प्रत्येक
विधेयक के प्रत्येक
सदन में तीन
वचन होते
हैं। अर्थात
पहला वाचन,
दूसरा वाचन
और तीसरा |