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गया था।
तभी इसकी
वास्तुकला
पर भारतीय
परंपराओं की
गहरी छाप है। इस
भवन का
केंद्र
बिंदु
केंद्रीय
कक्ष (सेंट्रल
हाल) का
विशाल
वृत्ताकार
ढांचा है।
केंद्रीय
कक्ष के
गुबंद का व्यास
98 फुट तथा इसकी
ऊँचाई 118 फुट
है। विश्वास
किया जाता है
कि यह विश्व
के बहुत शानदार
गुबंदों में
से एक है।
भारत की
संविधान सभा
की बैठक (1946-49) इसी कक्ष
में हुई थी। 1947
में
अंग्रेजों
से भारतीयों
के हाथों में
सत्ता का
ऐतिहासिक
हस्तांतरण
भी इसी कक्ष
में हुआ था।
इस कक्ष का प्रयोग
अब दोनों
सदनों की
संयुक्त
बैठक के लिए
तथा राष्ट्रपति
और विशिष्ट
अतिथियों-राज्य
या शासनाध्यक्ष
आदि के
अभिभाषण के
लिए किया
जाता है। कक्ष
राष्ट्रीय
नेताओं के
चित्रों से
सज़ा हुआ है।
केंद्रीय
कक्ष के तीन
ओर लोक सभा,
राज्य सभा
और ग्रंथालय
के तीन कक्ष
हैं। उनके
बीच सुंदर
बग़ीचा है
जिसमें घनी
हरी घास के
लान तथा फव्वारे
हैं। इन
तीनों
कक्षों के
चारों ओर एक
चार मंजिला
वृत्ताकार
इमारत बनी
हुई है।
इसमें मंत्रियों,
संसदीय
समितियों के
सभापतियों
और पार्टी के
कार्यालय
हैं। लोक सभा
तथा राज्य
सभा
सचिवालयों
के महत्वपूर्ण
कार्यालय और
संसदीय
कार्य
मंत्रालय के
कार्यालय भी यहीं
हैं। पहली
मंजिल पर चार
समिति
कक्षों का
प्रयोग संसदीय
समितियों की
बैठकों के
लिए किया
जाता है। इसी
मंजिल पर तीन
अन्य
कक्षों का
प्रयोग
संवाददाताओं
द्वारा किया
जाता है।
संसद भवन के
भूमि-तल पर
गलियारे की बाहरी
दीवार को
अनेक
भित्ति-चित्रों
से सजाया गया
है। जिनमें
प्राचीन काल
से भारत के
इतिहास तथा
पड़ोसी
देशों के साथ
भारत के
सांस्कृतिक
संबंधों को
प्रदर्शित
किया गया है। लोक
सभा कक्ष में,
आधुनिक ध्वनि
व्यवस्था
है।
दीर्घाओं
में छोटे
छोटे लाउडस्पीकर
लगे हुए हैं।
सदस्य
माईक्रोफोन
के पास आए
बिना ही अपनी
सीटों से बोल
सकते हैं।
लोक सभा
कक्षा में स्वचालित |