भाग लेता है। राष्‍ट्रपति समय समय पर संसद के दोनों सदनों को बैठक के लिए आमंत्रित करता है। दोनों सदनों द्वारा पास किया गया कोई विधेयक तभी कानून बन सकता है जब राष्‍ट्रपति उस पर अपनी अनुमति प्रदान कर दे। इतना ही नहीं, जब संसद के दोनों सदनों का अधिवेशन न चल रहा हो और राष्‍ट्रपति को महसूस हो कि इन परिस्‍थितियों में तुरंत कार्यवाही जरूरी है तो वह अध्‍यादेश जारी कर सकता है। इस अध्‍यादेश की शक्‍ति एवं प्रभाव पही होता है जो संसद द्वारा पास की गई विधि का होता है।

लोकसभा के लिए प्रत्‍येक आम चुनाव के पश्‍चात अधिवेशन के शुरू में और हर साल के पहले अधिवेशन के प्रारंभ में राष्‍ट्रपति एक साथ संसद के दोनों सदनों के सामने अभिभाषण करता है। वह सदनों की बैठक बुलाने के कारणों की संसद को सूचना देता है। इसके अलावा वह संसद के किसी एक सदन ‍अथवा एक साथ दोनों के समक्ष अभिभाषण कर सकता है। इसके लिए वह सदस्‍यों की उपस्‍थिति की अपेक्षा कर सकता है। उसे संसद में उस समय लंबित किसी विधेयक के संबंध में संदेश या कोई अन्‍य संदेश किसी भी सदन को भेजने का अधिकार है। जिस सदन को कोई संदेश इस प्रकार भेजा गया हो वह सदन उस संदेश में लिखे विषय पर सुविधानुसार शीघ्रता से विचार करता है। कुछ प्रकार के विधेयक राष्‍ट्रपति की सिफारिश प्राप्‍त करने के बाद ही पेश किए जा सकते हैं अथवा उन पर आगे कोई कार्यवाही की जा सकती है।

राज्‍य सभा : जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, राज्‍य सभा राज्‍यों की परिषद है। यह अप्रत्‍यक्ष रीति से लोगों का प्रतिनिधित्‍व करती है। राज्‍य सभा के सदस्‍य का चुनाव राज्‍य विधान सभाओं के चुने हुए विधायक करते हैं। प्रत्‍येक राज्‍य के प्रतिनिधियों की संख्‍या ज्‍यादातर उसकी जनसंख्‍या पर निर्भर करती है। इस प्रकार, उत्तर प्रदेश के राज्‍य सभा में 34 सदस्‍य हैं। मणिपुर, मिजोरम, सिक्‍किम, त्रिपुरा आदि जैसे