प्रभावित पक्ष को उच्‍च न्‍यायालय के आदेश के विरूद्ध उच्‍चतम न्‍यायालय में अपील करने का अधिकार है।

 

4. संसद के सत्र और बैठकें

लोक सभा प्रत्‍येक आम चुनाव के बाद चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचना जारी  किए जाने पर गठित होती है। लोक सभा की पहली बैठक शपथ विधि के साथ शुरू होती है। इसके नव निर्वाचित सदस्‍य भारत के संविधान के प्रति श्रद्धा और निष्‍ठा रखने के लिए, भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्‍ण रखने के लिए और संसद सदस्‍य के कर्तव्‍यों का श्रद्धापूर्वक निर्वहन करने के लिए शपथ लेते हैं।

 

राष्‍ट्रपति द्वारा आमंत्रण

राष्‍ट्रपति समय समय पर संसद के प्रत्‍येक सदन को बैठक के लिए आमंत्रित करता है। प्रत्‍येक अधिवेशन की अंतिम तिथि के बाद राष्‍ट्रपति को छह मास के भीतर आगामी अधिवेशन के लिए सदनों को बैठक के लिए आमंत्रित करना होता है। यद्यपि सदनों को बैठक के लिए आमंत्रित करने की शक्‍ति राष्‍ट्रपति में निहित है तथापि व्‍यवहार में इस आशय के प्रस्‍ताव की पहल सरकार द्वारा की जाती है।

 

संसद के सत्र

सामान्‍यतया प्रतिवर्ष संसद के तीन सत्र या अधिवेशन होते हैं। यथा बजट अधिवेशन (फरवरी-मई), वर्षाकालीन अधिवेशन (जुलाई-सितंबर) और शीतकालीन अधिवेशन  (नवंबर-दिसंबर)। किंतु, राज्‍य सभा के मामले में, बजट के अधिवेशन को दो अधिवेशनों में विभाजित कर दिया जाता है। इन दो अधिवेशनों के बीच तीन से चार सप्‍ताह का अवकाश होता है। इस प्रकार राज्‍य सभा के एक वर्ष में चार अधिवेशन होते हैं।