राष्‍ट्रपति का अभिभाषण

नव निर्वाचित सदस्‍यों की शपथ के बाद अध्‍यक्ष का चुनाव होता है। इसके बाद, राष्‍ट्रपति संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में एक साथ संसद के दोनों सदनों के समक्ष अभिभाषण करता है।

राष्‍ट्रपति का अभिभाषण बहुत महत्‍वपूर्ण अवसर होता है। अभिभाषण में ऐसी नीतियों एवं कार्यक्रमों का विवरण होता है जिन्‍हें आगामी वर्ष में कार्यरूप देने का विचार हो। साथ ही, पहले वर्ष की उसकी गतिविधियों और सफलताओं की समीक्षा भी दी जाती है। वह अभिभाषण चूंकि सरकार की नीति का विवरण होता है अंत: सरकार द्वारा तैयार किया जाता है। अभिभाषण पर चर्चा बहुत व्‍यापक रूप से होती है। धन्‍यवाद प्रस्‍ताव के संशोधनों के द्वारा उन मामलों पर भी चर्चा हो सकती है जिनका अभिभाषण में विशेष रूप से उल्‍लेख न हो।

 

अध्‍यक्ष/उपाध्‍यक्ष का चुनाव

लोक सभा सदन के दो सदस्‍यों को अध्‍यक्ष और उपाध्‍यक्ष के रूप में चुनती है। कुछ ऐसी परंपरा बनी है कि उपाध्‍यक्ष विपक्ष के सदस्‍यों में से चुना जाता है। प्रायः यह कोशिश रहती है कि अध्‍यक्ष और उपाध्‍यक्ष तथा राज्‍य सभा में सभापति और उपसभापति का यह काम है कि वे अपने सदन की कार्यवाही को व्‍यवस्‍थित ढंग से नियमों के अनुसार चलाएं।

 

कार्यक्रम और प्रक्रिया

संसदीय कार्य दो मुख्‍य शीर्षों में बांटा जा सकता है। सरकारी कार्य और गैर-सरकारी कार्य। सरकारी कार्य को  ‍िफर दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है, () ऐसे कार्य जिनकी शुरूआत सरकार द्वारा की जाती है और  () ऐसे कार्य जिनकी शुरूआत गैर-सरकारी सदस्‍यों द्वारा की जाती है परंतु जिन्‍हें सरकारी कार्य के समय में लिया जाता है जैसे प्रश्‍न, स्‍थगन प्रस्‍ताव, अविलंबनीय लोक महत्‍व के मामलों की ओर ध्‍यान दिलाना,