सकती है।

(2) ध्‍यानाकर्षण-इसके द्वारा कोई भी सदस्‍य सरकार का ध्‍यान तत्‍काल महत्‍व के मामले की और दिला सकता है। मंत्रि को उस मामले में बयान देना होता है। ध्‍यानाकर्षण करने वाले प्रत्‍येक सदस्‍य को एक प्रश्‍न पूछने का अधिकार होता है।

(3) आपातकालीन चर्चाएं-इनके द्वारा तत्‍काल महत्‍व के प्रश्‍नों पर एक घंटे की चर्चा की जा सकती है। हालांकि इस पर मतदान नहीं होता।

(4) विशेष उल्‍लेख-हमारे निर्वाचित प्र‍तिनिधि किस तरह ऐसे मामले उठाने का प्रयास करते हैं जिनका नियमों एवं विनियमों की व्‍याख्‍या से कोई संबंध नहीं होता। लेकिन ये मामले उस समय उन्‍हें और उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को उत्तेजित कर रहे होते हैं। जो मामले व्‍यवस्‍था के प्रश्‍न नहीं होते या जो प्रश्‍नों, अल्‍प-सूचना प्रश्‍नों, ध्‍यानाकर्षण प्रस्‍तावों आदि से संबंधित नियमों के अधीन नहीं उठाए जा सकते, वे इसके अधीन उठाए जाते हैं।

(5) प्रस्‍ताव (मोशन)-सदन लोक महत्‍व के विभिन्‍न मामलों पर अनेक फैसले करता है और अपनी राय व्‍यक्‍त करता है। कोई भी सदस्‍य एक प्रस्‍ताव के रूप में कोई सुझाव सदन के समक्ष रख सकता है। जिसमें उसकी राय या इच्‍छा दी गई हो। यदि सदन उसे स्‍वीकार कर लेता है तो वह समूचे सदन की राय या इच्‍छा बन जाती है। अंत: मोटे तौर पर प्रस्‍ताव सदन का फैसला जानने के लिए सदन के सामने लाया जाता है।

प्रस्‍ताव वास्‍तव में संसदीय कार्यवाही का आधार होते हैं। लोक महत्‍व का कोई भी मामला किसी प्रस्‍ताव का विषय हो सकता है। प्रस्‍ताव भिन्‍न भिन्‍न सदस्‍यों द्वारा भिन्‍न भिन्‍न प्रयोजनों से पेश किए जा सकते हैं। प्रस्‍ताव मंत्रियों द्वारा पेश किए जा सकते हैं और गैर-सरकारी सदस्‍यों द्वारा भी। गैर-सरकारी सदस्‍यों द्वारा पेश किए जाने वाले प्रस्‍तावों का