है। विशेषाधिकार भंग करने या सदन की अवमानना करने वाले को भर्त्‍सना करके या ताड़ना करके या निर्धारित अवधि के लिए कारावास द्वारा दंडित कर सकता है। स्‍वयं अपने सदस्‍यों के मामले में सदन अन्‍य दो प्रकार के दंड दे सकता है, अर्थात सदन की सेवा से निलंबित करना और निकाल देना, किसी सदस्‍य को एक निर्धारित अवधि के लिए सदन की सेवा से निलंबित किया जा सकता है। किसी अति गंभीर मामले में सदन से निकाला जा सकता है।

सदन अपराधियों को ऐसी अवधि के लिए कारावास का दंड दे सकता है जो साधारणतया सदन के अधिवेशन की अवधि से अधिक नहीं होती। जैसे ही सदन का सत्रावसान होता है, बंदी को मुक्‍त कर दिया जाता है। दर्शकों द्वारा गैलरी में नारे लगाकर और/अथवा इश्‍तिहार फेंककर सदन की अवमानना करने के कारण, दोनों सदनों ने, समय समय पर, अपराधियों को सदन के उस दिन स्‍थगित होने तक कारावास का दंड दिया है।

सदन का दांडिक क्षेत्र अपने सदनों तक और उनके सामने किए गए अपराधों तक ही सीमित न होकर सदन की सभी अवमाननाओं पर लागू होता है। चाहे अवमानना सदस्‍यों द्वारा की गई हो या ऐसे व्‍यक्‍तियों द्वारा जो सदस्‍य न हों। इससे भी कोई अंतर नहीं पड़ता कि अपराध सदन के भीतर किया गया है या उसके परिसर से बाहर। सदन का विशेषाधिकार भंग करने या उसकी अवमानना करने के कारण व्‍यक्‍तियों को दंड देने की सदन की यह शक्‍ति संसदीय विशेषाधिकार की नींव है। सदन की ऐसी पंरपरा भी रही है कि सदन का विशेषाधिकार भंग करने या सदन की अवमानना करने के दोषी व्‍यक्‍तियों द्वारा स्‍पष्‍ट रूप से और बिना किसी शर्त के दिल से व्‍यक्‍त किया गया खेद सदन द्वारा स्‍वीकार करर लिया जाता है। ऐसे में साधारणतया सदन अपनी गरिमा को देखते हुए ऐसे मामलो पर आगे कार्यवाही न करने का फैसला करता है।